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कहीं पंजाब में पुरानी पेंशन बहाली में हो रही देरी का कारण तजुर्बे की कमी तो नहीं?

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6/6, जुन डीडी न्यूजपेपर।

पुरानी पेंशन बहाली संघर्ष समिति इकाई मुकेरियां की एक महत्वपूर्ण बैठक प्रधान रजत महाजन तथा महासचिव सतीश कुमार के नेतृत्व में हुई। इसमें राज्य कन्वीनर जसवीर तलवाड़ा तथा वित्त सचिव वरिंद्र विक्की विशेष रूप से उपस्थित हुए। इस अवसर पर बोलते हुए उपरोक्त नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री पंजाब स.भगवंत मान ने गत वर्ष अक्तूबर में पुरानी पेंशन बहाल करने का ऐलान कर दिया था तथा ऐलान के बाद हिमाचल तथा गुजरात चुनावों में आम आदमी पार्टी की तरफ से इस नाम-मात्र ऐलान का राजनीतिक लाभ लेने की भरपूर कोशिश की गई। चाहे कि ऐलान पहले पंजाब में हुआ किंतु हिमाचल में बाद में बनी सरकार ने अपना वायदा पूरा करते हुए पुरानी पेंशन बहाल भी कर दी परंतु पंजाब में पहले तो इसको जांचने-परखने के लिए राज्यपाल की तरफ से उच्च अधिकारियों की कमेटी बना दी गई ,इसके बाद वित्त मंत्री स.हरपाल सिंह चीमा के नेतृत्व में एक सब-कमेटी बनाकर इस कमेटी को एस.ओ.पी बनाने तथा इसके प्रभावों की जांच करने का काम सौंप कर पुरानी पेंशन बहाली के काम को एक बार फिर से टालने की भरपूर कोशिश की गई है। इस दौरान पुरानी पेंशन बहाली संघर्ष समिति की राज्य स्तरीय रैली के ऐलान से घबराई हुई सरकार ने वित्त मंत्री के साथ पुरानी पेंशन बहाली संघर्ष समिति की मीटिंग तय कर दी।

6 अप्रैल पंजाब भवन चंडीगढ़ में मीटिंग हुई । जिसमें वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा को पुरानी पेंशन बहाली संघर्ष समिति पंजाब के राज्य कन्वीनर ने स्पष्ट रूप से सवाल किया कि पंजाब सरकार द्वारा कितने समय तक पुरानी पेंशन पूर्ण रूप से बहाल कर दी जाएगी । इस पर वित्त मंत्री साहिब की तरफ से खुला समय लेकर दो महीने का समय मांगा गया।

किंतु अब जब 6 जून को दो महीने की समयावधि पूर्ण हो चुकी हैं तो अब एक पत्र जारी करके पंजाब सरकार ने पुरानी पेंशन बहाली को समझने के लिए भिन्न-2 राज्यों में टीमें भेजने का फैसला किया है । वायदों पर पूरा उतरने का दावा करने वाली सरकार अपने वायदे से भागकर कर्मचारियों के साथ विश्वासघात कर रही है ।अब पंजाब के कर्मचारियों के मन में यह प्रश्न उठ रहा है कि कहीं पंजाब गैर-तजुर्बेकार हाथों में तो नहीं है ? क्यूंकि ऐलान करने के बाद जगह-2 पूछते फिरना कि पुरानी पेंशन कैसे लागू की जाए ? यह वर्तमान पंजाब सरकार की स्पष्ट रूप से तजुर्बे की कमी को दर्शाता है। एक तरफ आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार यह दावा करती है कि हमारे कामों को देखने के लिए विदेशी सरकारें अपनी टीमें भेजती हैं किंतु इसके विल्कुत विपरीत पंजाब में असलियत तो कुछ और ही दिखाई देती है । यह सरकार विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा पुरानी पेंशन कैसे बहाल की गई को समझने के लिए अपनी टीमें भेज रही है। ऎलान होने के पश्चात 7 महीने बीत चुके हैं ऐसे में एलान के प्रति कमेटियों का गठन किया जाना सरकार में आत्मविश्वास की कमी को भी दर्शाता है ।जब ऐलान कर ही दिया है तो फिर उसको जांचना क्या है ऐलान को यां फिर पुरानी पैंशन को ? दशकों का तजुर्बा रखने वाली सरकारें अपने फैसले लेना तथा लागू करना जानती हैं तथा करके दिखा भी दिया है पर एक तरफ अनाड़ी सरकार केंद्र से प्रभावित होकर अपने खुद के किए हुए फैसलों पर शंका ज़ाहिर कर रही दिखाई देती है तथा अपने फैसले को लागू नहीं कर पा रही है ।

पुरानी पेंशन बहाली संघर्ष समिति के राज्य कन्वीनर जसवीर तलवाड़ा ने उपरोक्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अब सख्त फैसले लेने का समय आ गया है तथा बहुत जल्द तीखे संघर्ष की रणनीति तैयार की जाएगी ,जिसके लिए हरेक एन .पी.एस पीड़ित कर्मचारी को तैयार रहना होगा।

इस अवसर पर संजीव धूत, सत्य प्रकाश, मनजीत सिंह, जसवंत सिंह, सतपाल ,बलविंदर टाक, बृजमोहन ,परमजीत ,जसवीर सिंह, ऋषभदेव ,राजेश कुमार, सुदेश महाजन, तरसेमलाल ,परसराम ,रोशन लाल ,गुल्विंदर सिंह ,पवन शर्मा ,सुरेंद्र सिंह तथा सुखजिंदर सिंह आदि संघर्षशील साथी उपस्थित थे।