HealthTechnology

Laparoscopy Surgery सुरक्षित, इन्फेक्शन का खतरा भी कम, जानें डॉक्टर की राय

Spread the News

दोआबा दस्तक न्यूजः लैप्रोस्कोपिक सर्जरी ओपन सर्जरी के मुकाबले कहीं ज्यादा सुरक्षित, किफायती और भरोसेमंद है. इसको लेकर कोई भ्रम न पालें. इस सर्जरी से मरीजों का समय और संसाधन तो बचता ही है, उसके शरीर को भी काफी कम नुकसान पहुंचता है. स्त्रीरोग की मरीजों में लैप्रोस्कोपिक सर्जरी को लेकर फैली भ्रांतियों के संदर्भ में ये बातें फोर्ड हॉस्पिटल की गाइंकोलॉजिस्ट डॉ. तन्वी ने कहीं.

वे कहती हैं कि स्त्रीरोग की मरीजों के मन में लैप्रोस्कोपिक सर्जरी को लेकर तमाम तरह की भ्रांतियां हैं. मसलन, लैप्रोस्कोपिक सर्जरी ओपन सर्जरी की तरह सफल नहीं होता है, इसमें पूरी सर्जरी नहीं होती, इससे शरीर के अन्य अंगों को नुकसान पहुंचता है, आदि. मगर सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है. हमने सैकड़ों मरीजों की सर्जरी के बाद पाया है कि लैप्रोस्कोपिक सर्जरी ओपन सर्जरी की तुलना में ज्यादा कारगर है. इसमें मरीजों को बहुत कम समय तक हास्पिटल में भर्ती रहने की जरूरत पड़ती है, कई मामलों में मरीज को एक ही दिन में छुट्टी मिल जाती है. चूंकी इस सर्जरी में चीरा बहुत कम लगता है तो इससे मरीज के शरीर को भी बहुत कम नुकसान पहुंचता है और उसे रिकवरी करने में भी बहुत कम समय लगता है.

कैसे होती है लैप्रोस्कोपिक सर्जरी

इस तरह की सर्जरी में पेट में तीन-चार बहुत छोटे-छोटे छेद किए जाते हैं. इन छेदों के जरिए टेलिस्कोप और कैमरा अंदर भेजा जाता है और उसे वीडियो पर देखते हुए कुछ विशेष तरह के उपकरणों के माध्यम से सर्जरी की जाती है.

सामान्य सर्जरी के क्या हैं नुकसान

यूट्रस निकालने की सर्जरी, ओवरी निकालने की सर्जरी या इस तरह की अन्य कई तरह की ओपन सर्जरी में सामान्य तौर पर आठ से दस सेंटीमीटर का लम्बा चीरा लगाकर पेट खोलकर ऑपरेशन किया जाता है. इसमें मरीज का ज्यादा खून बह जाता है. इसमें इन्फेक्शन की आशंका होती है. आगे चलकर हार्निया बनने की भी आशंका होती है. मरीज की रिकवरी में देरी होती है. उसे कई दिनों तक हॉस्पिटल में रहना पड़ता है. इन्हीं सभी समस्याओं को देखते हुए मरीजों को लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की सलाह दी जाती है.

लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के क्या हैं फायदे

  • इसको एनेस्थीसिया के प्रभाव में किया जाता है इसलिए मरीज को दर्द नहीं होता है
  • सर्जरी के दौरान बहुत ही छोटा सा चीरा लगता है, इसलिए ब्लीडिंग कम से कम या लगभग न के बराबर होती है
  • सर्जरी के बाद चीरा का निशान नहीं बनता है
  • हॉस्पिटल में बहुत कम समय रहना पड़ता है
  • ऑपरेशन के बाद दर्द बहुत कम रहता है
  • इस प्रक्रिया के दौरान या बाद में इंफेक्शन का खतरा कम से कम या नहीं के बराबर होता है
  • हार्निया बनने की भी आशंका खत्म हो जाती है