केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ AAP की महारैली 1 लाख लोग हो सकते शामिल
दिल्ली के रामलीला मैदान में आज आम आदमी पार्टी (AAP) केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ महारैली करेगी। पार्टी ने दावा किया है कि इस महारैली में करीब एक लाख लोग शामिल होंगे। इससे पहले दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने रामलीला मैदान में तैयारियों का जायजा लिया।
दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल, पंजाब के CM भगवंत मान के साथ सौरभ भारद्वाज, आतिशी और संजय सिंह सहित AAP के कई बड़े नेता कार्यक्रम में शामिल होंगे।
गोपाल राय ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया
महारैली को लेकर गोपाल राय ने शनिवार को कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली के मान सम्मान को बचाने के लिए यह महारैली की जा रही है। केंद्र सरकार के काला अध्यादेश और तानाशाही के खिलाफ दिल्ली की जनता एकजुट होगी। उन्होंने बताया कि AAP कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों से इस रैली से आने की अपील की है। उन्होंने कहा कि रैली में व्यवस्था में बिल्कुल भी चूक नहीं होनी चाहिए
केजरीवाल 12 साल बाद रामलीला मैदान में
2011 में केजरीवाल ने रामलीला मैदान से जनता को संबोधित किया था। यह समय अन्ना आंदोलन का था। अब ठीक 12 साल साल वे इस मैदान से किसी राजनीतिक रैली को संबोधित करने जा रहे हैं। हालांकि, बीच-बीच में उन्होंने शपथ ग्रहण समारोहों को संबोधित किया है।
AAP का कहना है कि ये महारैली केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ है, लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि केजरीवाल लोकसभा 2024 के चुनाव प्रचार की शुरुआत कर रहे हैं।
अब पढ़िए दिल्ली में केंद्र की तरफ से लाए गए अध्यादेश के बारे में…
दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के खिलाफ कई सालों से तनातनी चली आ रही थी। दोनों में लड़ाई चल रही थी कि आखिर अफसर किसके आदेश पर काम करेंगे। CM केजरीवाल का कहना था कि सरकार को LG काम नहीं करने दे रहे हैं। वहीं, LG का दावा था कि राजधानी के कुछ फैसले मेरे अधिकार क्षेत्र में भी आते हैं। इस लड़ाई को लेकर आम आदमी पार्टी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई।
AAP सरकार सुप्रीम कोर्ट क्यों पहुंची?
पहला मामला: दिल्ली में विधानसभा और सरकार का कामकाज तय करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार GNCTD अधिनियम, 1991 है। केंद्र सरकार ने 2021 में इसमें बदलाव कर दिया। कहा गया- विधानसभा के बनाए किसी भी कानून में सरकार का मतलब उपराज्यपाल होगा। सरकार किसी भी फैसले में LG की राय जरूर लेगी।
दूसरा मामला: दिल्ली में जॉइंट सेक्रेट्री और इस रैंक से ऊपर के अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकारों के मुद्दे पर सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव था। दिल्ली सरकार उपराज्यपाल का दखल नहीं चाहती थी। इन दोनों मामलों को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची।
11 मई: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की सलाह पर LG काम करेंगे
सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को फैसला दिया कि दिल्ली में सरकारी अफसरों पर चुनी हुई सरकार का ही कंट्रोल रहेगा। 5 जजों की संविधान पीठ ने एक राय से कहा- पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और जमीन को छोड़कर उप-राज्यपाल बाकी सभी मामलों में दिल्ली सरकार की सलाह और सहयोग से ही काम करेंगे।
19 मई: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया
7 दिन बाद 19 मई को केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया। अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का आखिरी फैसला उपराज्यपाल का होगा। इसमें मुख्यमंत्री का कोई अधिकार नहीं होगा।