चुनाव में व्यस्त रहे अधिकारी, अवैध इमारतों के मालिकों ने उठाया पूरा फायदा
दोआबा दस्तक न्यूजः जालंधर लोकसभा उपचुनाव के दौरान पिछले करीब दो माह से लगभग सभी प्रशासनिक अफसर चुनाव प्रक्रिया में व्यस्त रहे। इस दौरान अवैध इमारत के मालिकों ने जमकर लाभ उठाया। कई जगह देखते ही देखते पूरी की पूरी बिल्डिंग तैयार कर दी गई। ऐसा ही एक मामला लद्देवाली में जीएनडीयू रोड पर सामने आया है। यहां पर चुनाव की घोषणा के साथ ही अवैध इमारत बनाने का काम शुरू किया गया। अब चुनाव खत्म होते होते ये इमारत पूरी तैयार तक हो गई। न तो निगम का इसकी ओर ध्यान है और न ही प्रशासन का।
राजनीतिक मंशा के बगैर ऐसे काम होने संभव नहीं
जब भी कहीं अवैध निर्माण होता है तो उसके पीछे कहीं न कहीं राजनीतिक लोगों का हाथ निकलता है। या किसी न किसी की शह पर निर्माण हो रहा होता है। सरेआम रोड पर अवैध निर्माण हो रहा हो और कोई रोके भी नहीं तो इसका साफ मतलब है कि दाल में कुछ काला जरूर है। अवैध निर्माण होना जालंधर सिटी में नया नहीं है। इससे पहले भी यहां अवैध निर्माणों को लेकर चर्चा रही है।
लतीफपुरा में हुई प्रशासन की कार्रवाई के बाद भी प्रशासन पर ही उठे थे अवैध कब्जे करवाने के सवाल
हाल ही में रातों-रात जालंधर प्रशासन ने 40 साल से भी ज्यादा वक्त से रहे रहे लतीफपुरा वासियों पर कार्रवाई करते हुए उनके निर्माण गिरा दिए थे। तब फिर से जालंधर अवैध निर्माण के गढ़ के तौर पर उभरकर सामने आया। मीडिया में यह सवाल उठे कि पहले 40 साल से प्रशासन ने क्यों कदम नहीं उठाए। जब लोग अवैध कब्जा कर रहे थे तब वोट बैंक दिख रहा था और कब्जे होने दिए जा रहे थे। अब एकाएक सरकार बदली तो जेसीबी से निर्माण गिरा दिए गए। लोगों को शिफ्ट होने का वक्त भी नहीं दिया। लोगों ने रातें बाहर बिताईं। बिस्तर से लेकर बर्तन तक रोड पर रख दिए गए। सवाल यह है कि निर्माण होते ही अवैध निर्माण क्यों नहीं गिराया जाता। क्या प्रशासन की मंशा में कुछ और होता है?