लालू और उनके परिवार के ठिकानों पर छापेमारी में क्या मिला, ईडी ने बताया
नई दिल्लीः शनिवार को लालू यादव के परिवार वालों के घर और दूसरे ठिकानों पर छापेमारी की ख़बरें सुर्खियों में रही हैं। शुक्रवार को दिल्ली-एनसीआर, पटना, मुंबई और रांची में लालू यादव और उनके परिवार के 24 ठिकानों पर छापेमारी करने वाले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दावा किया है कि ‘ज़मीन के बदले रेलवे में नौकरी’ केस में उसकी इस कार्रवाई के दौरान 600 करोड़ रुपये के लेनदेन का पता चला है।
ईडी ने शनिवार को दावा किया कि उसने ऐसे दस्तावेज बरामद किए हैं, जिनसे पता चलता है कि 600 करोड़ रुपये की संपत्तियों का लेनदेन हुआ है। ये दस्तावेज़ 350 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों और 250 करोड़ रुपये के बेनामी लेनदेन से जुड़े हैं. ये छापेमारी धन शोधन निवारण अधिनियम यानी पीएमएलए, 2000 के तहत की गई थी.
इस केस में कहा गया है कि लालू यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान अलग-अलग रेलवे ज़ोन के ग्रुप ‘डी’ की नौकरियों के लिए उनके परिवार वालों ने लोगों से ज़मीनें लीं। जिन लोगों को नौकरियां मिली उनमें 50 फ़ीसदी से ज़्यादा लोग लालू यादव के परिवार वालों के निर्वाचन क्षेत्रों से थे।
दूसरी ओर, ‘नौकरी के बदले ज़मीन’ मामले में सीबीआई के समन पर तेजस्वी यादव हाजिर नहीं हुए. अख़बार ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि तेजस्वी ने ये कह कर पूछताछ में शामिल होने से इनकार किया कि उनकी गर्भवती पत्नी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है।
राजनीतिक दलों ने अनाम स्रोतों से जुटाए 15 हज़ार करोड़ रुपये से भी ज़्यादा
भारत की राष्ट्रीय राजनीतिक दलों 2004-05 से लेकर 2020-21 के दौरान अनाम स्रोतों से 15,077 करोड़ रुपये से भी अधिक इकट्ठे किए। ‘द हिंदू’ ने एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफ़ॉर्म्स की रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा है कि 2020-21 के दौरान राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने अनाम स्रोतों से 690 करोड़ रुपये से अधिक की आय हासिल की। राष्ट्रीय पार्टियों में बीजेपी, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सीपीएम, एनसीपी, बीएसपी, सीपीआई और नेशनल पीपुल्स पार्टी के आंकड़ों को शामिल किया गया है. वहीं क्षेत्रीय पार्टियों में आम आदमी पार्टी, एआईडीएमके, डीएमके, शिवसेना समेत 27 पार्टियों के आंकड़े शामिल किए गए हैं।