Punjab

अजनाला में उग्र दिखने वाला अमृतपाल आखिर भागने को क्यों हो गया मजबूर? ऐसे फंस गया पुलिस की रणनीति में

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दोआबा दस्तक न्यूजः आगे गाड़ी में भागता भगोड़ा अमृतपाल और 25 किमी तक पीछा करती पंजाब पुलिस की अहम रणनीति ने कट्टरपंथी के मंसूबों पर पानी फेर दिया। पुलिस अपने मकसद में कामयाब रही। दरअसल, जैसे ही अमृतपाल के भागने की खबर उसके समर्थकों को लगी वैसे ही उनका मनोबल टूट गया। यही वजह है कि बिना किसी देरी के पंजाब पुलिस ने अमृतपाल को भगोड़ा घोषित कर दिया।

अब अजनाला थाने पर हमले के बाद व्यवस्था को चुनौती देने वाले अमृतपाल के फरार होने से उसके समर्थक बैकफुट पर हैं। पुलिस ने रणनीति के तहत वारिस पंजाब दे के प्रमुख एवं खालिस्तान समर्थक अमृतपाल पर कार्रवाई की है। कट्टरपंथी अमृतपाल के फरार होने की सूचना के बाद उसके समर्थक घरों में बैठने को मजबूर हो गए हैं। भले ही अमृतपाल को अभी तक पंजाब पुलिस नहीं पकड़ पाई है लेकिन रणनीति के सिरे चढ़ते देख पुलिस का मनोबल बढ़ गया है। पुलिस फ्रंटफुट पर आकर ऑपरेशन अमृतपाल चला रही है।

23 फरवरी को ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह खालसा और उसके सैकड़ों समर्थकों ने अपने एक साथी की रिहाई (उस मामले में अमृतपाल खुद भी नामजद है) के लिए श्री गुरुग्रंथ साहिब जी की आड़ लेकर अजनाला थाने पर हमला किया था। उस वक्त वहां आला पुलिस अधिकारियों की अगुवाई में छह जिलों की पुलिस तैनात थी लेकिन अमृतपाल सिंह खालसा के साथियों के हिंसक तेवरों के बाद समूची पुलिस तितर-बितर हो गई और तमाम पुलिसिया बंदोबस्त धरे के धरे रह गए। सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा था। पुलिस साफ तौर पर अमृतपाल सिंह के आगे बेबस नजर आई थी। छह से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए थे।

सबसे बड़ा सवाल उठा रहा था कि खुलेआम खालिस्तान की मांग करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री मान को ललकारने वाले अमृतपाल सिंह पर पुलिस कार्रवाई करने से क्यों कतरा रही है? अजनाला थाने पर हमले के बाद संदेश जा रहा था कि अमृतपाल सिंह और उसके साथियों पर ‘हाथ’ डालना फौरी तौर पर मुश्किल है। गिरफ्तार साथी लवप्रीत सिंह तूफान की रिहाई के बाद तो और सवाल उठने लगे थे। अमृतपाल सिंह कहता रहा है कि सिंह कभी फरार नहीं होगा। वह अपना बलिदान देने के लिए तैयार है। ये बातें उनके समर्थकों में जोश भरती रही हैं।

यही वजह है कि चंद माह में ही वह पंजाब में अपनी पकड़ बनाने में कामयाब हो गया था। पंजाब पुलिस की रणनीति भी यही थी कि अमृतपाल सिंह को दौड़ाया जाए। उसके समर्थकों में यह संदेश जाए कि हमारा ‘कप्तान’ फरार हो गया। जानकार पुलिस की रणनीति को किसी हद तक कामयाब मान रहे हैं।

ऑपरेशन अमृतपाल में शामिल एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि अमृतपाल सिंह फरार हो गया, इस संदेश ने उसके 70 प्रतिशत समर्थकों का मनोबल तोड़ दिया। हमारी जीत उसी वक्त शुरू हो गई थी, जब उसकी फरारी का वीडियो वायरल हुआ। यही वजह है कि पंजाब में भारी संख्या में उसके समर्थक रविवार को घरों से निकले ही नहीं।