नोट पर बने आर्यभट्ट उपग्रह की कहानी…48 साल पहले रूस से स्पेस सेंटर से आज ही लांच किया था भारत ने अपना पहला उपग्रह, कक्ष में पहुंचते ही रो पड़े थे रॉव
Doaba News Jalandhar
10…9…8…7…6…5…4…3…2…1…0…आग, धुआं और ऊपर उठता रॉकेट। यह सीन है रूस के कपुस्टिन यार शहर के स्पेस सेंटर का। तारीख है 19 अप्रैल 1975। समय दोपहर के 12 बजे। 48 साल पहले आज के दिन हमारा पहला सैटेलाइट आर्यभट्ट लॉंच हुआ। नेतृत्व कर रहे थे। इसरो के प्रमुख विज्ञानी सतीश ध्वन और इस उपग्रह को बनाने वाली टीम के प्रमुख यूआर राव। आजादी के बाद देश का अपना पहला उपग्रह अब अपने कक्ष में पहुंच चुका था। देश में खबर पहुंचते ही सबकी आंखों में गर्व के आंसू थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ही आर्यभट्ट नाम पर मुहर लगाई थी। इसकी सफलतम कहानी की खुशी में भारतीय मुद्रा 2 रुपए के नोट पर इस उपग्रह की फोटो छापी गई।
जब रॉव का आंखों में आ गए आंसू
लांच होने के 10-12 मिनट बाद ही यह उपग्रह अपने कक्ष में पहुंच जाता है। पूरे मिशन को अंजाम देने वाले यूआर राव की आंखों में यह देख आंसू आ जाते हैं। हालांकि पांचवें दिन सैटेलाइट से संपर्क टूट गया, लेकिन बाद में संपर्क फिर से जुड़ गया। अंतरिक्ष में करीब 17 साल रहने के बाद सैटेलाइट आर्यभट्ट 10 फरवरी 1992 को पृथ्वी के वातावरण में लौट आया।