Ukraine war…पश्चिमी देशों की हालत खराब, भारत की स्थिति मजबूर
भारत-रूस यूद्ध का असर कई पश्चिमी सहित एशिया के देशों को असर हुआ है। खासकर गेहूं उपलब्धता में, क्योंकि यूक्रेन गेहूं का बड़ा आपूर्तीकर्ता रहा है। इसका सीधा असर पाकिस्तान पर देखने को मिल सकता हैं जहां आटा 400 रुपए किलो तक बिक रहा है। कोई भी देश गेहूं के मामले में पाकिस्तान की मदद नहीं कर पा रहा है। भारत ने पुलवामा अटैक के बाद पहले ही पाकिस्तान से व्यापारिक संबंध तोड़ लिए हैं। युद्ध के असर से दूर भारतीय अर्थव्यवस्था ने कोरोना जैसी कठिन परिस्थियों का सफलतापूर्वक मुकाबला किया है। भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी आने की कोई संभावना नहीं है। 2023 में भी जीडीपी ग्रोथ रेट 5.9 प्रतिशत रह सकती है।
पिछले कुल सालों में दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था ने अच्छा प्रदर्शन किया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की ओर से अनुमान है कि 2023-24 में अर्थव्यवस्था 5.9 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। यह गति ऐसे समय में भी बरकार है जब दुनिया रूस-यूक्रेन युद्ध से पैदा समस्याओं का सामना कर रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बेंगलुरु में एक कार्यक्रम में बताया कि कैसे इस दौरान सही फैसलों के कारण भारत कठिनाईयों से बाहर निकला।
पश्चिम महंगाई में फंसा, भारत ने निकाले हल
दुनिया में यूक्रेन अनाज, दवाइयों, खाद्य तेलों और मिलिट्री उत्पादों सहित अनाज का बड़ा उत्पादक है। दोनों के युद्ध में जाने के कारण इन सभी सामानों का संकट दुनिया में पैदा हो गया। सीतारमण ने कहा कि रूस पर प्रतिबंध के कारण वहां से भी खरीद करना बंद हो गया। इसका असर यह हुआ कि पश्चिम इस वक्त बुरी तरह से महंगाई में फंसा है।
किसी की धाैंस नहीं सही, रूस-अमेरिका दोनों की बराबर सुनी
यूद्ध की स्थित में भी भारत ने यूक्रेन को सहयोग दिया। रूस से क्रूड को लेकर समझाैता किया। अमेरिका की भी बात सुनी। किसी की धाैंस नहीं चलने थी। हालांकि पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे। इस कारण पश्चिमी देशों ने रूस से व्यापार काफी कम कर दिया। भारत ने रूस से डिस्काउंट पर क्रूड खरीदकर अर्थव्यवस्था को गति दी।